मेरी दुनिया
Saturday, August 13, 2011
अफ़सोस
दिल के जख्मों को कैसे दिखाये, हम उन्हें अपना कातिल कैसे बताये,
क़त्ल हो गये खुद ही बड़े शौक से, अब अपने मरने का मातम कैसे मनाये.
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment