Sunday, August 14, 2011

मैं खुद

हर मुस्कुराहट के पीछे गम को छुपा लेता हूँ,
आते है जब भी इन आँखों में आंसू,
तो खुद को हँसा लेता हूँ,
हा में नहीं सह सकता गम-ए-उल्फत,
इसलिए खुद ही दिल को बहला लेता हूँ,
जिंदगी से कुछ नहीं अब तक हासिल मुझे,
पर हर घड़ी जीत का जश्न मना लेता हूँ,
देखा नहीं उसे जिंदगी में कभी मैने,
पर हर मंदिर के सामने सर को झुका लेता हूँ,
कोई करे या ना करे इजहार-ए-मुहब्बत मुझसे,
मैं तो खुद को ही अपना बना लेता हूँ,

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