खुमार तेरे इश्क़ का ना उतरे तो यार क्या किजे।
हम भूलना चाहे तो भी तू याद आये हर बार तो क्या किजे।
कोशिश भी करी खूब हमने अपने दिल को समझाने की।
बत्तम्मीजी पर वो उतर आये तो क्या कीजे।
आप रहे इस दिल के मेहमाँ अब तलक युही
अब ये दिल-ऐ-मकाँ ना हो खाली तो क्या किजे।
जिस्म और रूह साथ रहे साथ तेरा रहने तक
अब दोनों चाहे होना अलग तो क्या कीजे।
तुम तो खुश रहे दूर जाकर भी हमसे बहुत
हम तुझसे दूर ही ना हो पाये तो क्या किजे।
तेरे साथ में पायी थी मंजिल हमने हमेशा
अब रास्तो में ही हो जाये शाम तो क्या किजे।
धोखा ही अंजाम है तेरे प्यार का जानते हुए फिर भी
दिल बस तेरा ही करना चाहे एतबार तो क्या किजे।
तुझे पाना अब ना रहा मुमकिन इस दिल के लिए
पर करे अब भी ये तेरा ही इन्तेजार तो क्या किजे।
सहते रहे दर्द दिल में ही रखकर अपने युही
जख्म अब बेईमानी पर उतर आये तो क्या किजे।
रोज रोज अपने दिल को बहलाते फुसलाते मानते रहे
ये बेशरम तोड़े वादे हर बार तो क्या किजे।