Monday, May 8, 2017

mene dekha hai

तेज़ तूफ़ानो के आगे बेबस इस जहाँ को देखा है,बुलंद हौसलों के टूटते हुए मकानों को मेने देखा हैँ 
कश्ती ना बांधना इस साहिल पर मांझी ,यहाँ दिल के अरमानों के जहाजो को डूबते मेने देखा है l  
आईने देख कर सोचते हो के अभी वजूद है तुम्हारा, अक्स को भी यहाँ गैर होते मेने देखा हैँ l   
बैठे हो इंतजार में के अब तो सहर होगी, यहाँ रातो को चाँद निगलते मेने देखा है l  
आसमा छूने का ख्वाब देखते हो यहाँ तुम, ख्वाबो के परिंदो को क़ैद होते मेने देखा है l l 
गुजश्ता दौर में जो था दौर-इ-शंहशा कभी, इस दौर में उनको मिट्टी में मिलते मेने देखा हैl  
जिस्म में बसती है रूह जीने के लिए, खुद से मुख़्तलिफ़ होती रूह को मेने देखा है l   
दिल का मफ़हूम किसको बताये यहाँ, हमनवा के हाथो में खंजर को मेने देखा है l 
हसरत न रही कुछ और देखने की हमे ,हर ऊंची ईमारत को गिरते मेने देखा है l

Monday, August 25, 2014

क्या किजे

खुमार तेरे इश्क़ का ना उतरे तो यार क्या किजे।
हम भूलना चाहे तो भी तू याद आये हर बार तो क्या किजे।
कोशिश भी करी खूब हमने अपने दिल को समझाने की। 
बत्तम्मीजी पर वो उतर आये तो क्या कीजे। 
आप रहे इस दिल के मेहमाँ  अब तलक युही 
अब ये दिल-ऐ-मकाँ ना हो खाली तो क्या किजे। 
जिस्म और रूह साथ रहे साथ तेरा रहने तक 
अब दोनों चाहे होना अलग तो क्या कीजे। 
तुम तो खुश रहे दूर जाकर भी हमसे बहुत 
हम तुझसे दूर ही ना हो पाये तो क्या किजे। 
तेरे साथ में पायी थी मंजिल हमने हमेशा 
अब रास्तो में ही हो जाये  शाम तो क्या किजे। 
धोखा ही अंजाम है तेरे प्यार का जानते हुए फिर भी 
दिल बस तेरा ही करना चाहे एतबार  तो क्या किजे। 
तुझे पाना अब ना  रहा  मुमकिन इस दिल के लिए 
पर करे अब भी ये तेरा ही  इन्तेजार तो क्या किजे। 
सहते रहे दर्द दिल में ही रखकर अपने युही  
जख्म अब बेईमानी पर उतर आये तो क्या किजे। 
रोज रोज अपने दिल को बहलाते फुसलाते मानते रहे 
 ये बेशरम तोड़े वादे हर बार तो क्या किजे।

Saturday, March 15, 2014

मुमकिन नहीं

भुल जाऊ मैं तुझे पर मैं खुद को भुला पाता नहीं 
छोड़ दु उन राहो को जिन पर साथ थी तू मेरे 
क्या करू मैं अपने कदमो को रोक पाता  नहीं 
हिस्सा कैसे  निकाल  दूँ  जिंदगी का  तेरे साथ वाला 
मैं खुद के जिगर को काट पाता नहीं 
अश्कों में रवां कर दू अक्स तेरा मैं लेकिन  
 इन आखों से तुझे मिटा पाता नहीं 
इश्क़ कभी किया था मैंने  तुझसे ये दिल जानता है 
कैसे  रोक दू दिल को वो बिन तेरे धड़क पाता नहीं 
इरादों  को मैं  मजबूत कर भी लू अगर 
पर अंधेरो में खुद को ढूंढ पाता नहीं 
ऐ जिंदगी तू भी तो गवाह है उस दौर कि जिसमे रोशनी थी करीब मेरे 
अब क्यों कोई सूरज इस साये को मुझसे हटा पाता नहीं 
इशक़ ने कभी जीना सिखाया था मुझे 
आज क्यों तू मौत से मुझे मिलवाता नहीं 
डुबती है जिस छोर पर रौशनी दूर कही 
क्यों उन दूरियों तक भी में तुझसे दूर जाता नहीं 
मंदिर मजारो में तू रहता है सुना है मैंने  
पर क्यों तू मुझसे मिल पाता नहीं 
हर दर्द को सह लेते गर होता तू साथ मेरे 
पर तेरे ही दर्द को ये दिल क्यों सह पाता नहीं 
दिल तो परिंदा है जा बैठता है उसी दरख़्त पर नाम तेरा  जिस पर लिखा था मैंने  
ये मौसमो का दौर भी क्यों उस दरख़्त को गिरा पाता नहीं 
सुना है तू अब भी रहता है इसी शहर में कही 
क्या मेरी खामोशियो को अब तू सुन पाता नहीं 
आंसुओ को न कभी भी बहने दिया हमने 
पर इस बारिश को क्यों कोई रोक पाता नहीं 
रिहा कर दिया हमने तुझे अपने इश्क़ कि कैद से कब का 
पर खुद को खुद में कैद होने से मैं खुद को रोक पाता नहीं 
तूने मिटा दिए थे रास्ते लौटने के सभी 
पर तेरा इन्तेजार अब हम  न करे ये मुमकिन हो पाता  नहीं 
झील के आईने में जब भी देखता हु दरख्तो के साये को 
तू मुझमे अब भी बसी है ये ख्याल दिल से मिटा पाता नहीं 
मिट जाऊंगा, मिटना तय है मेरा एक दिन,
 पर तुझे खुदा मुझसे मिटा दे ये क्युँ  हो पाता नहीं 

Thursday, November 29, 2012

हर सुबह तेरा ख्याल आता है 
तेरे स्पर्श का एहसास मुझे नींद से जगा जाता है 
तू बस गयी है रूह में इस तरह के 
की किसी और का नाम लू तो 
बस तेरा नाम ही जुबा पर आता है 

Monday, September 24, 2012

कोशिश

मेरी ख़ामोशी ने साथ निभाया है मेरा,
पर तेरे जिक्र ने बैचेन किया है मुझे हरदम l
मैंने हर बात को बखूबी छुपाया है सबसे,
पर तेरी नादानी  ने रुसवा किया है मुझे हरदम l
तुने तो मिलो का फासला किया है मुझसे,
पर तेरी मौजूदगी को महसूस किया है 
मैंने हरदम l

Wednesday, November 23, 2011

गुजारिश

अपने दिन में यादो का मंजर रहने दो,
अपने होठो पर मेरा नाम रहने दो,
ये मालूम है के प्यार नहीं है तुमको मुझसे,
पर झूठा ही सही अपने दिल में ये एहसास रहने दो।

Saturday, October 22, 2011

मै चला, मै चला.......

मै चला, मै चला
जीवन के सफ़र मै एक पड़ाव था मेरा यहाँ,
कुछ देर तक बस रुक जाना था मुझे यहाँ,
पर अब एक नयी राह बनाने और मंजिल को पाने,
कदमो को कर तेज फिर से,
मै चला, मै चला l
कोई शिकायत नहीं मुझे किसी से ना कोई शिकवा रहा,
फिर से होकर सबसे जुदा, खुद को तोड़ कर हिस्सों मे,
मै चला , मै चला l
मुड़ के देखू के कोई तो आवाज देकर फिर से बुलाले मुझको,
पर देखू जो मुड़ के तो पाता नहीं किसी को जहा से था मै चला,
ये सिलसिला है क्यों बना के मिलन है जेसे जुदाई के लिए ही बना,
कोई मंत्र ना मिले ऐसा के जो फुंकु तो पाऊ तुमको फिर से,
कोई वक़्त ना लौटे ऐसा के फिर से खुद को भुला के मिल जाऊ तुमसे,
ख्वाब अधूरे थे जो मेरे चुभते थे आँखों मे मेरी ,
उनको हकीक़त मै पाने के लिए, आंसुओ की बूंदों को बना आइना फिर से
मै चला , मै चला l
मिट्टी का जिस्म है मेरा जानता हूँ , एक -एक आंसुओ से घुलता है ये दिल मेरा,
आंसुओ को संभाले कारवा की प्यास के लिए,
कदमो को सीधे रखते हुए, खुद के कंधो पर खुद को उठाये
मै चला , मै चला l
दोस्त भूल ना जाना मुझे, मै तुमको दिल मै बसाये दूर देश ले चला
याद अगर कभी आई तुम्हारी तो आंसुओ के आइनों मे तुझे मै देखूंगा हमेशा,
मै जाते हुए कुछ ना बोला तुझसे के शब्दों मै खुद को बोल ना पाया,
ये जुबान तो रही खामोश मेरी क्योंकी मेरी आँखों ने शब्दों को है बहाया,
कुछ नहीं था देने को मेरे पास तुझे , मै तो बस आँखों से मोती बिखेर चला,
मै चला , मै चला.......