Saturday, August 13, 2011

चाहत

कुछ लिखना चाहता हूँ तुम पर,
पर पता हूँ खुद को असमर्थ,
क्योकि, क्या कोई ऐसी भी कलम होगी जो कर सके बखान तुम्हारी सुन्दरता का,
क्या कोई ऐसी भी किताब होगी जो समेट सके उन शब्दों को जो तुम्हे देख कर लिखे गए हो,
देखता हूँ जब तुम्हारी आँखों को तो भूल जाता हूँ उन शब्दों को जो तुम्हारी छवि के गुणगान में मेने सोच रखे थे,

कभी कभी में सोचता हूँ क्या इतना मुश्किल है लिखना??
पर कुछ लिखना चाहता हूँ तुम पर......................

No comments:

Post a Comment