Saturday, October 22, 2011

मै चला, मै चला.......

मै चला, मै चला
जीवन के सफ़र मै एक पड़ाव था मेरा यहाँ,
कुछ देर तक बस रुक जाना था मुझे यहाँ,
पर अब एक नयी राह बनाने और मंजिल को पाने,
कदमो को कर तेज फिर से,
मै चला, मै चला l
कोई शिकायत नहीं मुझे किसी से ना कोई शिकवा रहा,
फिर से होकर सबसे जुदा, खुद को तोड़ कर हिस्सों मे,
मै चला , मै चला l
मुड़ के देखू के कोई तो आवाज देकर फिर से बुलाले मुझको,
पर देखू जो मुड़ के तो पाता नहीं किसी को जहा से था मै चला,
ये सिलसिला है क्यों बना के मिलन है जेसे जुदाई के लिए ही बना,
कोई मंत्र ना मिले ऐसा के जो फुंकु तो पाऊ तुमको फिर से,
कोई वक़्त ना लौटे ऐसा के फिर से खुद को भुला के मिल जाऊ तुमसे,
ख्वाब अधूरे थे जो मेरे चुभते थे आँखों मे मेरी ,
उनको हकीक़त मै पाने के लिए, आंसुओ की बूंदों को बना आइना फिर से
मै चला , मै चला l
मिट्टी का जिस्म है मेरा जानता हूँ , एक -एक आंसुओ से घुलता है ये दिल मेरा,
आंसुओ को संभाले कारवा की प्यास के लिए,
कदमो को सीधे रखते हुए, खुद के कंधो पर खुद को उठाये
मै चला , मै चला l
दोस्त भूल ना जाना मुझे, मै तुमको दिल मै बसाये दूर देश ले चला
याद अगर कभी आई तुम्हारी तो आंसुओ के आइनों मे तुझे मै देखूंगा हमेशा,
मै जाते हुए कुछ ना बोला तुझसे के शब्दों मै खुद को बोल ना पाया,
ये जुबान तो रही खामोश मेरी क्योंकी मेरी आँखों ने शब्दों को है बहाया,
कुछ नहीं था देने को मेरे पास तुझे , मै तो बस आँखों से मोती बिखेर चला,
मै चला , मै चला.......

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