Monday, May 8, 2017

mene dekha hai

तेज़ तूफ़ानो के आगे बेबस इस जहाँ को देखा है,बुलंद हौसलों के टूटते हुए मकानों को मेने देखा हैँ 
कश्ती ना बांधना इस साहिल पर मांझी ,यहाँ दिल के अरमानों के जहाजो को डूबते मेने देखा है l  
आईने देख कर सोचते हो के अभी वजूद है तुम्हारा, अक्स को भी यहाँ गैर होते मेने देखा हैँ l   
बैठे हो इंतजार में के अब तो सहर होगी, यहाँ रातो को चाँद निगलते मेने देखा है l  
आसमा छूने का ख्वाब देखते हो यहाँ तुम, ख्वाबो के परिंदो को क़ैद होते मेने देखा है l l 
गुजश्ता दौर में जो था दौर-इ-शंहशा कभी, इस दौर में उनको मिट्टी में मिलते मेने देखा हैl  
जिस्म में बसती है रूह जीने के लिए, खुद से मुख़्तलिफ़ होती रूह को मेने देखा है l   
दिल का मफ़हूम किसको बताये यहाँ, हमनवा के हाथो में खंजर को मेने देखा है l 
हसरत न रही कुछ और देखने की हमे ,हर ऊंची ईमारत को गिरते मेने देखा है l

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