ये तारे है या के तेरे आँचल में बिखरे नगीने,
ये बहती हवा की गुफ्तगू है या की तू मुझे बुला राही है,
में तो सोता ही इसलिए हूँ के तुझसे तनहा मिल सकू,
तुझे धडकनों की आवाजो में महसूस कर सकू,
तू मुझे हमेशा मेरे पलकों के पानी में दिख जाया करती है,
तुझे में खुद कहूँ या मै खुदको तुझे कहूँ
मै कैसे कहूँ के मै तन्हा हूँ और सिर्फ मै हूँ,
ये तो फरेब होगा खुद के साथ और दुनिया से भी,
क्योकि तू तो हमेशा से मेरे पास है और मेरे साथ है.......
waha waha kiya likha he
ReplyDeletejaise jhil ke kinare bahati hawa he,